श्री गणेशाय नमः - SHVETASHVATARA UPANISHAD - श्वेताश्वतरोपनिषद् परमात्मा को जानने के लिए कुछ जिज्ञासु रिशी आपस में चर्चा करते हुए बोले - हमने वेदों में पढ़ा है कि इस समस्त सृष्टि के मूल कारण ब्रह्म हैं। परंतु यह ब्रह्म कौन हैं ? हम उत्पन्न होने से पहले , जीवन के दौरान और प्रलय के बाद किसमें स्थित रहते हैं ? हमारा परम आश्रय कौन है ? हमारी व्यवस्था कौन करता है ? वह कौन है जिसने सुख-दुख की स्थिति बनाई और इस पूरे जगत को व्यवस्थित रूप से संचालित करता है ? वेद-शास्त्रों में कई प्रकार के कारण बताए गए हैं। कहीं काल को कारण कहा गया है , क्योंकि समय के आधार पर वस्तुओं की उत्पत्ति , सृष्टि की रचना और प्रलय होती है। कहीं स्वभाव को कारण माना गया है , क्योंकि बीज के अनुसार ही वृक्ष उत्पन्न होता है। कहीं कर्म को कारण बताया गया है , क्योंकि जीव अपने कर्मों के अनुसार विभिन्न योनियों में जन्म लेते हैं। कहीं आकस्मिक घटनाओं को कारण माना गया है तो कहीं पाँच महाभूतों को कारण बताया गया है। और कहीं जीवात्मा को जगत का कारण कहा गया है। लेकिन हमें विचार करना चाहिए कि इन सबमें से असल...
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